Rumored Buzz on Shodashi
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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।
Worshippers of Shodashi find not merely content prosperity but additionally spiritual liberation. Her grace is alleged to bestow both equally worldly pleasures as well as the means to transcend them.
On strolling in the direction of her historical sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her energy improves in intensity. Her templed is entered by descending down a darkish narrow staircase that has a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are several uneven and irregular actions. The subterranean vault is warm and humid and however There exists a emotion of safety and and security inside the dim gentle.
ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥
The iconography serves as being a point of interest for meditation and worship, allowing devotees to connect Using the divine energy in the Goddess.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं here निगर्भा स्तुता
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
Her narratives usually emphasize her part within the cosmic battle against forces that threaten dharma, thus reinforcing her position being a protector and upholder of the cosmic purchase.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram